Class 12 History Chapter 2 Notes in Hindi राजा, किसान और नगर

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Class 12 History Chapter 2 Notes in Hindi राजा, किसान और नगर

  • जब भारतीय उपमहाद्वीप में सिंधु घाटी सभ्यता का पतन हो गया उसके बाद भारतीय उपमहाद्वीप में बहुत ही अलग अलग तरह के परिवर्तन देखने को मिला।
  • सिंधु घाटी सभ्यता के समय मे इतिहास को जानने और समझने का मुख्य स्रोत वेद था।
  • सिंधु घाटी सभ्यता के समय मे इतिहास को जानने और समझने का मुख्य स्रोत वेद था।
  • पहली शताब्दी में लाशो को जलाया नही जाता था बल्कि उनको कब्रों में दफनाया जाता था। उस समय मे हर एक कब्रों बड़े बड़े पत्थरों से घिरी होती थीं।
  • हम आपको बता दे कि 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में पूरे भारत मे 16 बड़े राज्य हुआ करते थे। इन 16 बड़े राज्यो को महाजनपद कहा जाता था।
  • इन 16 बड़े राज्यो में से मगध, कोशल, वत्स और अवंत सबसे शक्तिशाली महाजनपद हुआ करते थे। इन चारो का प्रभाव पूरे हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा था।
  • यहाँ पर हम आपको बात दे कि उस समय मे मौर्य साम्राज्य के संस्थापक महान राजा चंद्रगुप्त मौर्य थे। चंद्रगुप्त मौर्य में नंद वंश के आखिरी राजा को हराकर मौर्य साम्राज्य की स्थापना करी थी।
  • सबसे पहले मौर्य साम्राज्य के बारे में लोगो को मेगस्थनीज और कौटिल्य के किताबो से पता चला। मेगस्थनीज ने अपने किताब इंडिका और कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में मौर्य साम्राज्य के बारे में विस्तार से बताया है।
  • चंद्रगुप्त मौर्य ने काफी समय तक राज किया था। चंद्रगुप्त मौर्य के बेटे का नाम बिन्दुसार था। चंद्रगुप्त मौर्य के मरने के बाद उसके बेटे बिन्दुसार ने 298 से 272 ईसा पूर्व तक मौर्य साम्राज्य पर राज किया।
  • बिन्दुसार ने पूरे 26 साल तक मौर्य साम्राज्य पर राज किया था। जब बिन्दुसार की मौत हो गई उसके बाद अगला राजा अशोक हुआ।
  • अशोक ने 272 से 231 ईसा पूर्व तक राज किया। अशोक को भारत का सबसे महानतम राजा माना जाता है। कहा जाता है कि अशोक के राज में भारत का बहुत विकाश हुआ था।
  • कहा जाता है कि एक समय ऐसा भी आया था कि कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने कभी भी युद्ध ना करने का निश्चय ले लिया था। इस तरह से कह सकते है कि कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने युद्ध को त्याग दिया था।
  • महान राजा अशोक ने अपने राज्य में अलग अलग जगहों पर शिलालेख का निर्माण करवाया था। अशोक ने इन शिलालेखो को ब्राह्मी लिपि में लिखवाया था। इन शिलालेखो को पढ़कर आप इनके इतिहास के बारे में और अच्छे से जान सकते है।
  • जब भारत से गुप्त राजवंश का अंत हो गया उसके बाद कई सारे राजवंश ने भारत के अलग अलग जगहों पर राज किया जैसे सातवाहन, शक, पांड्य, चोल, चेर और कुषाण उनमे से मुख्य थे।
  • भारत मे गुप्त साम्राज्य की नींव श्रीगुप्त ने 275 CE में की थी। श्रीगुप्त ने कुल 25 साल तक राज्य किया था।
  • जब श्रीगुप्त की मौत हो गई उसके बाद उसका बेटा घटोत्कच गद्दी पर बैठा। घटोत्कच ने 300 CE से 320 CE तक मतलब कुल मिलाकर 20 सालो तक राज किया था।
  • घटोत्कच के बाद चंद्रगुप्त प्रथम ने 320- 335 ईस्वी तक तक राज किया। इस तरह से कह सकते है कि चंद्रगुप्त प्रथम ने कुल 15 साल तक शासन किया था।
  • घटोत्कच के बाद चंद्रगुप्त प्रथम ने 320- 335 ईस्वी तक तक राज किया। इस तरह से कह सकते है कि चंद्रगुप्त प्रथम ने कुल 15 साल तक शासन किया था।
  • जब चंद्रगुप्त प्रथम की मौत हुई उसके बाद उसका बेटा सुमुद्रगुप्त गद्दी पर बैठता है। सुमुद्रगुप्त का शासनकाल 335 से 375 CE तक रहा। सुमुद्रगुप्त को गुप्त वंश का सबसे ताकतवर राजा माना जाता है।
  • जब सुमुद्रगुप्त की मौत हो गई उसके बाद अगला राजा चंद्रगुप्त-द्वितीय हुआ। चंद्रगुप्त-द्वितीय में गुप्त वंश में कुल 40 साल तक राज किया था।
  • जब सुमुद्रगुप्त की मौत हो गई उसके बाद अगला राजा चंद्रगुप्त-द्वितीय हुआ। चंद्रगुप्त-द्वितीय में गुप्त वंश में कुल 40 साल तक राज किया था।
  • गुप्त वंश को भारतीय इतिहास में स्वर्ण युग के नाम से जाना जाता है। इस समय भारत मे बहुत विकास हुआ था।
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हड़प्पा सभ्यता के बाद विकास के मुख्य बिंदु:

  • जब हड़प्पा सभ्यता खत्म हुआ उसके बाद भारत मे कई तरह के विकास हुआ था। जैसे की कई जगह पर कृषि बस्तियों का उदय हुआ और देहाती समुदायों जैसे और भी कई चीज़ों के प्रमाण मिले है।

महाजनपद:

  • छठी शताब्दी ईसा पूर्व में भारत मे 16 राज्य हुआ करते थे जिनको महाजनपद के नाम से भी जाना जाता था। इन सभी महाजनपद की एक राजधानी भी हुआ करती थी। इन सभी जानकारी का उल्लेख कई बौद्ध और जैन ग्रंथों में मिलता है।
  • 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व के समय मे 16 महाजनपदों में सबसे ताकतवर मगध राज्य हुआ करता था। इसकी राजधानी राजगृह हुआ करती थी जो बाद में बदलकर पाटलिपुत्र कर दिया गया था। मगध राज्य के सबसे ताकतवर राजा बिंबिसार, अजातशत्रु और महापद्म नंद थे।

मौर्य साम्राज्य:

  • चंद्रगुप्त मौर्य ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी। इतिहासकारों ने मौर्य साम्राज्य का इतिहास मेगस्थनीज और कौटिल्य के किताबो के अलावा बौद्ध और जैन के लिखित ग्रंथों के द्वारा अच्छे से जाना।
  • पाटलिपुत्र, तक्षशिला, उज्जयिनी, तोसली, सुवर्णगिरि मौर्य साम्राज्य के पांच प्रमुख राजनीतिक केंद्र हुआ करते थे।
  • मौर्य साम्राज्य में अशोक ने धर्म का प्रचार बहुत ज्यादा करवाया था। अशोक ने अधिकारियों की नियुक्ति की थी धर्म के प्रचार के लिए।

अशोकन शिलालेख:

  • अशोकन शिलालेख के ब्राह्मी भाषा को समझने के लिए यूरोपीय और भारतीय विद्वानों ने बहुत मेहनत की थी। जेम्स प्रिंसेप ने 1838 में सबसे पहले अशोकन ब्राह्मी को समझा था।
  • अशोक के शिलालेख में अशोक का उल्लेख ‘देवनामपिया’ के रूप में किया गया है। देवनामपिया का मतलब ‘ईश्वर का प्रिय’ होता है।
  • अशोक का शिलालेख सबसे पहले उड़ीसा में मिले थे। इन शिलालेख में अशोक के शासन और युद्ध नीति के बारे में पता चलता है।

संकल्पना शासन का उद्भव:

  • भारत के अलग अलग जगहों पर अलग अलग राजाओ ने अपना अलग अलग साम्राज्य स्थापित किया। जिसने नये राज्य, समुदाय और कस्बों को जन्म दिया।

नए राज्यों का उदय:

  • चोलों, चेरों और पांड्यों सहित दक्कन और आगे दक्षिण में नए राज्यों का उदय हुआ। सातवाहन और शक लंबी दूरी के व्यापार से राजस्व प्राप्त करते थे। कुषाणों ने एक विशाल साम्राज्य पर शासन किया और खुद को देवपुत्र (भगवान का पुत्र) की उपाधि धारण करते हुए खुद को भगवान माना।
  • प्रशस्तियों सहित साहित्य, सिक्कों और शिलालेखों से गुप्त शासकों के इतिहास का पुनर्निर्माण किया गया। हरिसेना द्वारा लिखित प्रयाग प्रशस्ति (जिसे इलाहाबाद स्तंभ शिलालेख भी कहा जाता है) गुप्त शासकों के बारे में जानने का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है।

Class 12 History Notes Chapter 2 के महत्वपूर्ण शर्तें:

जनपद: यह वह जगह होती थी जहां पर कुल या कबीले के लोग रहकर अपना जीवन यापन करते थे।

धम्मो महानत्ता: यह अशोक के समय के अधिकारी थे। इनका मुख्य काम धर्म की बात को लोगो तक फैलाने का काम था।

मातृवंश: यह एक ऐसा शब्द था जिसको माता के माध्यम से उसके वंश का पता लगाने के समय उपयोग किया जाता था।

तमिलकम: आज के तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल को पहले तमिलकम कहा जाता था।

महापाषाण: यह एक पत्थर की संरचनाएँ होती थी। इसको लोग मृतकों की कब्र के ऊपर बनाते थे।

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वेलेटर्स: जो राज्य में बड़े जमींदार होते थे उनको वेलेटर्स कहा जाता था।

अग्रहार: वह भूमि होती थी जिसको राजा ब्राह्मणों को अनुदान के रूप में देते थे।

समय रेखा:

600-500 ईसा पूर्व: इस समयकाल में महाजनपदों का उदय हुआ था।

544-492 ईसा पूर्व: बिम्बिसार ने इस समयकाल में राज किया था।

492-460 ईसा पूर्व: अजातशत्रु का यह राज करने का समय था।।

269-231 ईसा पूर्व: अशोक का शासनकाल

201 ईसा पूर्व: इस समय मे प्रसिद्ध कलिंग का युद्ध लड़ा गया था।

335-375: महान सुमुद्रगुप्त का शासनकाल

375-415: चन्द्रगुप्त-द्वितीय का शासनकाल

1784: इस समय मे एशियाटिक सोसाइटी स्थापना भारत मे हुई थी।

1838: ब्राह्मी लिपि को पढ़ने और समझने का काम जेम्स प्रिंसेप्ट ने किया था।

1877: अशोक के शिलालेखों का सबसे पहला प्रकाशन अलेक्जेंडर कनिंघम ने इस समय किया था।

1886: एपिग्राफिया केमेटिका का पहला अंक प्रकाशित किया गया था। इस पत्रिका में दक्षिण भारतीय शिलालेखों के बारे में बताया गया था।

1965-66: डीसी सरकार ने इंडियन एपिग्राफी और इंडियन एपिग्राफिकल ग्लोसरी प्रकाशित किया था।

मेरा नाम सद्दाम हुसैन है और मैं इस ब्लॉग का फाउंडर और कंटेंट राइटर हूँ। इस ब्लॉग पर मैं एजुकेशन, सरकारी नौकरी, जॉब, कैरियर, बिजनेस, कोर्सेज और सेलेबस से रिलेटेड हर नई और महत्वपूर्ण लेख को रेगुलर बेसिक पर प्रकाशित करता रहता हूँ।

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